मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ऐतिहासिक ग्वालियर दुर्ग पर पहुँचे।

 

ग्वालियर गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ पर मत्था टेककर  गुरु हरगोबिंद साहिब को किया नमन।


दाता बंदी छोड़ के 400 साल पूर्ण होने के उपलक्ष्य में ग्वालियर किले पर स्थित गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ पर मनाया जा रहा है महोत्सव।


महोत्सव में देश-विदेश से सिक्ख श्रद्धालु अरदास करने आए हैं।



गुरु हरगोबिंद जी के अंगरखे की कलियों को पकड़कर बाहर आए थे 52 राजा


गुरु हरगोबिंद साहिब को मुगल बादशाह जहांगीर ने ग्वालियर किले में कैद कर रखा था। कहा जाता है एक फकीर की सलाह पर जहांगीर ने  गुरु हरगोबिंद जी को रिहा करने का हुक्म जारी किया। पर गुरु साहिब ने यह कहकर रिहा होने से इनकार कर दिया कि हमारे साथ कैद 52 राजा रिहा किए जाएँगे तभी हम बाहर आएँगे। इस पर जहाँगीर ने शर्त रखी कि जितने राजा गुरु हरगोविंद साहिब का दामन थाम कर बाहर आ सकेंगे वे रिहा कर दिए जाएंगे। बादशाह को लग रहा था कि 52 राजा इस तरह बाहर नहीं आ पाएंगे। पर दूरदृष्टि रखने वाले गुरु साहिब ने कैदी राजाओं को रिहा करवाने के लिए 52 कलियों का अंगरखा सिलवाया। गुरु जी ने उस अंगरखे को पहना और हर कली के छोर को 52 राजाओं ने पकड़ लिया। इस तरह सभी राजा गुरु गोबिंद साहिब के  रिहा हो गए। गुरु हरगोविंद साहिब को इसी वजह से दाता बंदी छोड़ कहा गया। गुरुजी के रिहा होने की याद में हर साल दाता बंदी छोड़ दिवस मनाया जाता है। इस साल 400 वां दिवस मनाया जा रहा है। ऐतिहासिक ग्वालियर किले पर  गुरुद्वारे की स्थापना कि गई है, जो दुनियाँ भर में गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ के नाम से विख्यात